मेरा आशियाना


इस टूटती बनती घपलो के बीच फंसी देहली मैं मेरा छोटा सा आशियाना भी टूट ही जायेगा कम से कम थोड़ी नींद तो पूरी कर लूं


*Credits:  Poem and Photograph by Mr. Raakesh Khatri

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